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फोटो – रिटायर्ड पीसीएस अधिकारी का बगीचा बना ‘प्राकृतिक दवाखना’-चालीस पेड़ पौधो की फूल-पत्तियों को पीसकर बनाया जाता है जूस-रोजाना सैकड़ो लोग बगीचे पहुंच जूस युक्त औषधि का करते हैं सेवन

जान्हवी कुमार द्विवेदी बांदा l एक सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी का बगीचा इस समय चर्चा में है l बगीचे में भोर से ही लोगों का जमावड़ा लग जाता है क्योंकि बीमारियों से राहत पाने को रोजाना बड़ी संख्या में लोग यहां फूल पत्तियों के रस का सेवन करते हैं और यह जूस उनको शारीरिक समस्याओ से राहत पहुंचाने में रामबाण साबित हो रहा है l इसे रस का कमाल ही कहेंगे कि महज तीन साल में रिटायर्ड अपर आयुक्त का यह बगीचा पर्यावरण संरक्षण के साथ ‘प्राकृतिक दवाखना’ बन गया है…

वरुथिनी एकादशीदिनांक – 04मई 2024, शानिवारमाह – वैशाख पक्ष – कृष्णप्रारंभ – 03 मई 2024 को दोपहर 11:24 बजेसमाप्त – 04 मई 2024 को दोपहर 08:39 बजे

कथा –अर्जुन ने कहा- हे प्रभु! वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसका क्या विधान है और उससे किस फल की प्राप्ति होती है, सो कृपापूर्वक विस्तार से बताएँ। अर्जुन की बात सुन श्रीकृष्ण ने कहा- हे अर्जुन! वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम बरूथिनी एकादशी है। यह सौभाग्य प्रदान करने वाली है। इसका उपवास करने से प्राणी के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यदि इस उपवास को दुखी सधवा स्त्री करती है, तो उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।…

प्रकृति से ही प्रगति संभव हैयह बात सच प्रतिशत सत्य है की प्रकृति से ही प्रगति संभव है क्योंकि बिना प्रकृति के जीवन यापन संभव नहीं है और जब जीवन ही नहीं होगा तो हम प्रगति का तो सोच ही नहीं सकतेप्रगति होने से वातावरण सुंदर और स्वच्छ रहता है जिससे जीवन जीने का स्तर बढ़ जाता है जब प्रकृति भरपूर थी रोग हमसे दूर भागते थे और हम अपने कार्य की प्रगति में लगे रहते थेजैसा कि आप सब जानते हैं कि इस समय सभी जंगलों को काटकर कंक्रीट के जंगलों में परिवर्तित किया जा रहा है प्रगति तो हो रही है पर दूसरी तरफ जिसके परिणाम स्वरुप जमकर वायु परिवर्तन हो रहा है तथा तरह-तरह के रोग आ गए हैं और हम सिर्फ विनाश की ओर जा रहे हैं और कहीं नहींअंततोगत्वा मैं अपने इस विचार के साथ अपनी वाणी को विराम दूंगा कि हमें सिर्फ और सिर्फ प्रकृति की प्रगति करनी है प्रकृति ही हमारी प्रगति कर देगी मेरे इस उपकयां का सार यही है की प्रकृति से ही प्रगति संभव है***रविंद्र कुमार गुप्ता पर्यावरण प्रेमी